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प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों की पेयजल व्यवस्था के लिए लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, नोडल विभाग है। जन सामान्य के लिए शुद्ध पेयजल की निरंतरता एवं पर्याप्त उपलब्धता अत्यंत आवश्यक है। शुद्ध पेयजल की निरंतर एवं पर्याप्त उपलब्धता के लिए पेयजल की गुणवत्ता के साथ-साथ भू-जल संवर्धन के कार्य भी अत्यंत महत्वपूर्ण हो गए हैं, जिसके लिए यथोचित प्रयास किए जा रहे हैं। विभाग द्वारा जहां ग्रामीण क्षेत्रों के लिए शुद्ध पेयजल की व्यवस्था हैंडपंप और नल जल योजनाओं के द्वारा की जा रही हैं, वहीं शहरीय क्षेत्रों के लिए उनकी मांग अनुसार जलप्रदाय योजनाओं का अभिकल्पन, रूपांकन एवं क्रियान्वयन भी किया जाता है।
1. ग्रामीण पेयजल व्यवस्था
प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में राज्य मद की योजनाओं के अतिरिक्त राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के दिशा-निर्देशों के अनुरूप निरंतर, गुणवत्तायुक्त, पर्याप्त पेयजल व्यवस्था के लिए विभाग प्रतिबद्ध है। ग्रामीण जनों को सुरक्षित एवं पर्याप्त पेयजल उनके घरों में ही उपलब्ध कराए जाने की दिशा में विभाग द्वारा जहां नलजल प्रदाय योजनाओं का अधिक से अधिक क्रियान्वयन किया जा रहा है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों की छोटी-छोटी बसाहटों में भी सोलर पंप आधारित जलप्रदाय योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इस योजना से भी घरेलू नल कनेक्शन के माध्यम से जलप्रदाय किया जा रहा है। भू-जल श्रोतों पर निर्भरता को कम करते हुए ग्रामीण क्षेत्रों के लिए सतही श्रोत पर आधारित समूह नलजल प्रदाय योजनाएं क्रियान्वित की जा रही है। पेयजल की गुणवत्ता प्रभावित बसाहटों में विभिन्न तकनीकों पर आधारित शुद्धिकरण संयंत्रों की स्थापना एवं वैकल्पिक व्यवस्था कर शु़द्ध पेयजल प्रदाय के प्रयास किये जा रहे हैं। विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्ध पेयजल श्रोतों एवं पेयजल योजनाओं की निरंतरता बनाये रखने, संचालन-संधारण, नई योजनाओं के क्रियान्वयन तथा पेयजल की गुणवत्ता के अनुश्रवण में समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में भी कार्य किये जा रहे हैं।
पेयजल गुणवत्ता की माॅनीटरिंग एवं उस पर निगरानी के लिए लगातार पेयजल स्रोतों की गुणवत्ता का परीक्षण करने के लिए उपखंड स्तर तक प्रयोगशाला की स्थापना करने के साथ चलित प्रयोगशाला की भी व्यवस्था की गई है।
2. नगरीय पेयजल व्यवस्था
प्रदेश में पेयजल प्रदाय के क्षेत्र में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को विशेषज्ञ अभिकरण की हैसियत प्राप्त है। विभाग द्वारा प्रदेश की नगरीय निकायों के लिए उनकी मांग के अनुसार जल प्रदाय योजनाओं की परिकल्पना, रूपांकन एवं क्रियान्वयन किया जाता है। छ.ग. राज्य गठन के पश्चात् प्रदेश में नगरीय निकायों की संख्या में उत्तरोत्तर वृद्धि हुई है। पूर्व नगरीय क्षेत्रों में क्रियान्वित पेयजल योजनाओं का वर्तमान आवश्यकता के अनुरूप आवर्धित करने के साथ ही नवीन नगरीय निकायों में ग्रामीण मापदण्ड आधारित क्रियान्वित जलप्रदाय योजनाओं के स्थान पर नगरीय मापदण्ड आधारित योजनाएं स्वीकृत एवं क्रियान्वित की जा रही है।
3. विविध
विभाग का मुख्य दायित्व ग्रामीण क्षेत्रों मेें पेयजल व्यवस्था है, जो मुख्यतः भू-गर्भीय श्रोतों पर आधारित है। भू-गर्भीय जल श्रोतों के अधिकाधिक उपयोग से जहां एक ओर भू-गर्भीय जल की उपलब्धता कम हुई है, वहीं उपलब्ध भू-गर्भीय जल में गुणवत्ता भी प्रभावित हुई है। विभाग द्वारा सामयिक आवश्यकता के दृष्टिगत भूजल संवर्धन कार्यों के अतिरिक्त ग्रामीण क्षेत्रों में सतही श्रोत पर आधारित समूह जलप्रदाय योजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं। नगरीय क्षेत्रों में भी भू-जल श्रोतों पर आधारित योजनाओं का मांग अनुसार सतही श्रोत पर आवर्धन किया जा रहा है। पेयजल गुणवत्ता की समस्या के हल हेतु आयरन, फ्लोराईड रिमूव्हल प्लांट की स्थापना प्रायोगिक रूप से कर, विभाग आधुनिक तकनीकी के उपयोग से अपने आपको समसामयिक बनाये रखने के लिये निरंतर प्रयासरत् है। इस दिशा में उपखंड स्तर तक कम्प्यूटरीकरण किया गया है तथा आॅन लाइन माॅनिटरिंग साफ्टवेयर का उपयोग, प्रस्तावित ग्राम स्तर तक जी.आई.एस. मेपिंग एवं भू-जल संवर्धन योजनाओं हेतु सेटेलाइट इमेजरी का उपयोग, नलकूप खनन हेतु अत्याधुनिक रिग मशीनं एवं इनका रियलटाइम आॅनलाइन माॅनीटरिंग, जल शोधन संयंत्रों में SCADA तकनीक का उपयोग, ई-प्रोक्योरमेंट, ई-वक्र्स प्रक्रिया का उपयोग एवं टाॅल फ्री सेवा से त्वरित शिकायत निवारण व्यवस्था का उल्लेखनीय कदम हैं।
सूचना पट्ट
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